किसान नेता राकेश टिकैत का नारायणपुर दौरा, अबूझमाड़ के आदिवासियों से की मुलाकात, जल जंगल जमीन की लड़ाई का किया समर्थन
नारायणपुर संवाददाता – कुशल चंद पारख
नारायणपुर : किसान नेता राकेश टिकैत मंगलवार को नारायपुर के दौरे पर रहे. यहां उन्होंने अबूझमाड़ के आंदोलनकारी आदिवासियों से ‘मुलाकात नक्सल प्रभावित क्षेत्र मढ़ोनार में की आदिवासियों के धरना स्थल पर पहुंचे और उनकी मांगों का समर्थन किया।
नारायणपुर : बीते 258 दिनों से नारायणपुर के अबूझमाड़ के मढ़ोनार में आदिवासी जल जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं. इन आंदोलनकारी आदिवासियों से मिलने किसान नेता राकेश टिकैत मंगलवार को मढ़ोनार पहुंचे. उन्होंने आदिवासियों की सभी मांगों को समर्थन किया।
दो घंटे तक आदिवासी लोगों और किसानों की सुनीं बातें
किसान नेता राकेश टिकैत ने करीब दो घंटे तक आदिवासियों और किसानों के साथ अपना वक्त बिताया. उन्होंने उनकी समस्याएं सुनीं. इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से मिलने हजारों की संख्या में ग्रामीण भी पहुंचे थे।
राकेश टिकैत ने ग्रामीणों को संबोधित किया
“जल जंगल जमीन पर आदिवासी भाइयों का अधिकार है. आदिवासी भाई जब भी अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन करते हैं. तो उन्हें नक्सली बताकर जेल में बंद कर दिया जाता है हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते हैं. हम किसान भाइयों के हक के लिए लड़ते हैं. आंदोलन को जगलों से निकाल कर देश की राजधानी तक ले जाएंगे. भारतीय किसान यूनियन के दरवाजे आदिवासी भाइयों और किसानों के लिए हमेशा खुले हैं”: राकेश टिकैत, किसान नेता
राकेश टिकैत ने आदिवासियों के साथ किया भोजन
राकेश टिकैत को सुनने सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे हैं. राकेश टिकैत ने ग्रामीणों के साथ पारंपरिक रूप से बने दोना पत्तल में भोजन किया।
“नारायणपुर के किसान धान, मक्का की खेती करते हैं. साथ ही इमली, महुआ, टोरा, आमचूर सहित कई वनोपज को व्यापारियों को बेचते हैं. लेकिन इन्हें अपनी उपज का सही दाम नहीं मिलता है. हम सरकार से इनकी उपज का सही दाम दिलाने की मांग करते हैं. अगर सरकार इनकी मांगें नहीं सुनती है तो हम आंदोलन भी करेंगे. समय आने पर किसानों के हक के लिए बड़ा आंदोलन किया जाएगा”: राकेश टिकैत, किसान नेता
258 दिनों से भी अधिक समय से मढ़ोनार में आदिवासी लोग पेशा कानून, ग्राम सभा के अधिकारों की बहाली की मांग कर रहे हैं. क्षेत्र में खुल रहे नए कैंप को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब तक इन आदिवासियों से मिलने प्रशासन और सरकार का कोई नुमाइंदा नहीं आया है।